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शराब और कैंसर: जानिए कैसे शराब पीना बढ़ाता है कैंसर का जोखिम:

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क्या शराब पीना कैंसर का कारण बन सकता है?

शराब का सेवन शरीर के कई अंगों में कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। शराब में मौजूद एथेनॉल शरीर में एसिटैल्डिहाइड में बदल जाता है, जो एक टॉक्सिक और कैंसर बढ़ाने वाला पदार्थ है। यह डीएनए को नुकसान पहुँचाता है और कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि का कारण बनता है। विशेष रूप से मुँह, गले, अन्नप्रणाली, लीवर, पेट और स्तन के कैंसर का जोखिम शराब के सेवन से बढ़ जाता है। शराब पीने वाले लोगों में इन अंगों के कैंसर होने की संभावना उन लोगों की तुलना में कहीं अधिक होती है जो शराब का सेवन नहीं करते।

शराब और कैंसर का जोखिम किस हद तक बढ़ता है?

जितनी अधिक मात्रा में शराब का सेवन किया जाएगा, उतना ही कैंसर का खतरा बढ़ता है। हल्की मात्रा में शराब पीना भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जाता। समय के साथ लगातार शराब का सेवन शरीर में टॉक्सिक पदार्थों को जमा करता है, जिससे कोशिकाओं की मरम्मत प्रक्रिया प्रभावित होती है और कैंसर विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसका असर उम्र, जीवनशैली और आनुवंशिकी पर भी निर्भर करता है।

क्या बीयर या वाइन पीना सुरक्षित है?

कई लोग सोचते हैं कि वाइन या बीयर में शराब के तत्व हल्के होते हैं, इसलिए ये सुरक्षित हैं। लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। बीयर, वाइन या किसी भी प्रकार की शराब में एथेनॉल होता है, जो कैंसर का मुख्य कारण माना जाता है। इसलिए किसी भी प्रकार की शराब का सेवन जोखिम को पूरी तरह समाप्त नहीं करता।

महिलाओं पर शराब के प्रभाव

महिलाओं में शराब पीने से स्तन कैंसर का खतरा पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। शराब शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को बढ़ाती है, जो स्तन कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि का कारण बन सकती है। इसके अलावा महिलाओं में लीवर और अन्नप्रणाली के कैंसर का खतरा भी शराब के सेवन से बढ़ जाता है।

शराब और लीवर कैंसर

शराब लीवर में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और लीवर की कार्यक्षमता को कमजोर करती है। समय के साथ यह सायरॉसिस जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है, जो अंततः लीवर कैंसर में बदल सकती है। शराब का दीर्घकालिक सेवन लीवर की मरम्मत प्रक्रिया को प्रभावित करता है और हानिकारक पदार्थों का संचय बढ़ा देता है।

शराब और धूम्रपान का संयुक्त प्रभाव

अगर कोई व्यक्ति शराब पीता है और धूम्रपान करता है, तो कैंसर का जोखिम बहुत तेजी से बढ़ जाता है। विशेष रूप से मुँह, गले और अन्नप्रणाली के कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। शराब और तम्बाकू दोनों ही कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं और उनके प्रभाव एक-दूसरे को बढ़ा देते हैं।

शराब छोड़ने से जोखिम कम होता है

शराब का सेवन बंद करने से समय के साथ कैंसर का जोखिम धीरे-धीरे कम हो जाता है। जितनी जल्दी शराब छोड़ दी जाए, उतना ही शरीर को अपने आप को ठीक करने का मौका मिलता है। शराब छोड़ने से लीवर की कार्यक्षमता सुधरती है और डीएनए को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन्स का असर कम होता है।

शराब, मोटापा और कैंसर

शराब कैलोरी में उच्च होती है और लगातार सेवन से वजन बढ़ सकता है। मोटापा भी कैंसर का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। शराब के सेवन से शरीर में फैट जमा होता है, विशेष रूप से पेट के आसपास, जो हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है और स्तन, लीवर और कोलोन के कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।

उम्र और शराब का प्रभाव

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की कोशिकाएं और अंग शराब के प्रभाव को कम सह पाते हैं। बुजुर्गों में शराब का सेवन और अधिक खतरनाक हो जाता है क्योंकि उनके शरीर की मरम्मत प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसके कारण कैंसर का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है।

कैंसर से बचाव के लिए सुरक्षित तरीका

सबसे सुरक्षित तरीका शराब का सेवन पूरी तरह बंद करना है। इसके अलावा, संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान से बचना और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना भी महत्वपूर्ण है। संतुलित जीवनशैली और शराब से दूरी रखने से शरीर को कैंसर से लड़ने की क्षमता मिलती है।

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