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धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर क्यों होता है? कारण, लक्षण और बचाव

धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर क्यों होता है? कारण, लक्षण और बचावम्रपान का असर सीधे फेफड़ों पर पड़ता है।

धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर क्यों होता है?

  • धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का सबसे मुख्य कारण है।
  • सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, सिगार आदि में पाए जाने वाले रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं को धीरे-धीरे नुक़सान पहुँचाते हैं और कैंसर को जन्म देते हैं।
  • यह एक धीमी लेकिन घातक प्रक्रिया है जिसमें वर्षों लग सकते हैं, परंतु इसका असर बहुत गंभीर होता है।
  • धूम्रपान करते समय व्यक्ति केवल तम्बाकू ही नहीं, बल्कि 7000 से अधिक रसायनों का मिश्रण अपने शरीर में लेता है। इनमें से 70 से अधिक रसायन सीधे कैंसर पैदा करने वाले (carcinogens) होते हैं।
  • जब ये रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं के संपर्क में आते हैं तो वे कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं, जिससे DNA को नुक़सान पहुँचता है और कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, जो कि कैंसर का कारण बनती हैं।

धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर कैसे शुरू होता है?

  • जब कोई व्यक्ति सिगरेट का धुआं खींचता है, तो वह न केवल तम्बाकू, बल्कि कार्बन मोनोऑक्साइड, फॉर्मल्डिहाइड, बेन्जीन, टार, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया जैसे हानिकारक रसायनों को भी अपने फेफड़ों में खींचता है।
  • ये रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं की DNA संरचना को धीरे-धीरे बदल देते हैं। DNA का मुख्य काम शरीर की कोशिकाओं की वृद्धि और मरम्मत को नियंत्रित करना होता है।
  • लेकिन जब DNA टूटता है, तो कोशिकाएँ बिना नियंत्रण के बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर (गांठ) का निर्माण करती हैं।

सिगरेट में कौन-कौन से कैंसरकारक रसायन होते हैं?

सिगरेट का धुआं 7000 से अधिक रसायनों से भरपूर होता है। इनमें से कई सीधे कैंसर पैदा करने वाले होते हैं।
कुछ प्रमुख रसायन ये हैं:

  • बेंजीन – पेट्रोलियम से जुड़ा रसायन जो खून से जुड़ी बीमारियाँ भी फैलाता है।
  • फॉर्मल्डिहाइड – कोशिकाओं को मारता है और सांस की नली को क्षतिग्रस्त करता है।
  • टार – फेफड़ों की सतह पर जमता है और कोशिकाओं को प्रभावित करता है।
  • निकोटीन – नशा देता है, लेकिन साथ ही रक्तचाप व दिल की धड़कन को भी बढ़ाता है।
  • क्रोमियम व आर्सेनिक – ये धातुएँ DNA को नुक़सान पहुँचाती हैं।

धूम्रपान करने से शरीर में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं?

  • फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है
  • सांस लेने में तकलीफ़ होती है
  • फेफड़ों में कफ जमा होने लगता है
  • बार-बार खांसी और सीने में जलन होती है
  • रक्त में ऑक्सीजन का स्तर घटता है
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है
  • DNA टूटने लगता है जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है

क्या केवल सिगरेट पीने से ही कैंसर होता है?

नहीं, सिगरेट के अलावा बीड़ी, सिगार, हुक्का, तम्बाकू चबाना, पान मसाला और गुटखा भी कैंसर के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। इनके ज़रिए भी शरीर में वही हानिकारक रसायन पहुँचते हैं जो DNA को नुक़सान पहुँचाते हैं। इसके अलावा जो व्यक्ति सिगरेट नहीं पीते पर दूसरे के धुएं के संपर्क में रहते हैं (जिसे passive smoking कहते हैं), उन्हें भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।

धूम्रपान से होने वाला फेफड़ों का कैंसर किन लक्षणों से पहचाना जाता है?

शुरुआत में कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, निम्नलिखित लक्षण सामने आते हैं:

  • लगातार खांसी रहना
  • खांसी में खून आना
  • सीने में दर्द
  • सांस फूलना
  • वजन तेजी से घटना
  • थकान और कमज़ोरी
  • बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना

क्या धूम्रपान छोड़ने से कैंसर से बचा जा सकता है?

हां, अगर व्यक्ति समय रहते धूम्रपान छोड़ देता है तो उसके फेफड़ों को और शरीर को खुद को ठीक करने का अवसर मिल जाता है। कुछ लाभ:

  • 1 वर्ष बाद दिल की बीमारियों का खतरा आधा हो जाता है
  • 5 वर्ष बाद कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है
  • 10 से 15 वर्ष बाद नॉन-स्मोकर जितना ही कम खतरा रह जाता है
  • फेफड़ों की कार्यक्षमता धीरे-धीरे सुधरती है
  • जीवनकाल बढ़ता है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है

धूम्रपान छोड़ने के बाद शरीर में क्या सुधार होता है?

  • 20 मिनट के भीतर – रक्तचाप और नाड़ी सामान्य होने लगती है
  • 12 घंटे में – खून में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर सामान्य हो जाता है
  • 2 हफ्ते से 3 महीने – रक्त संचार और फेफड़ों की कार्यक्षमता सुधरने लगती है
  • 1 साल बाद – दिल की बीमारी का खतरा घटने लगता है
  • 5 से 10 साल में – फेफड़ों, मुंह, गले और खाने की नली के कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है

क्या धूम्रपान से अन्य अंगों को भी कैंसर हो सकता है?

जी हां, धूम्रपान केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है। यह शरीर के कई अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है:

  • मुँह का कैंसर
  • गले का कैंसर
  • खाने की नली (esophagus) का कैंसर
  • ब्लैडर (मूत्राशय) का कैंसर
  • किडनी का कैंसर
  • लिवर का कैंसर
  • पेट का कैंसर
  • अग्नाशय (pancreas) का कैंसर

फेफड़ों के कैंसर से बचाव के लिए क्या उपाय करें?

  • धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें
  • जिन स्थानों पर लोग धूम्रपान करते हैं, वहां जाने से बचें
  • स्वस्थ और पोषणयुक्त भोजन करें
  • नियमित व्यायाम करें
  • समय-समय पर मेडिकल चेकअप कराएं
  • ताजे फलों और हरी सब्जियों का सेवन करें
  • स्ट्रेस को कम करने के लिए ध्यान, योग, संगीत आदि अपनाएं

क्या धूम्रपान की लत से छुटकारा पाया जा सकता है?

हां, थोड़ी सी इच्छाशक्ति, सही मार्गदर्शन और परिवार का सहयोग मिलने पर कोई भी व्यक्ति धूम्रपान छोड़ सकता है। कुछ उपाय:

  • निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (गम, पैच)
  • मनोवैज्ञानिक परामर्श
  • मोटिवेशनल थेरेपी
  • हेल्थ ऐप्स व सपोर्ट ग्रुप्स
  • लक्ष्य बनाना और स्वयं को प्रोत्साहित करना
  • दोस्तों व परिवार से सकारात्मक सहयोग लेना

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