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फेफड़ों के कैंसर पर काबू: इम्यूनोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी से बेहतर इलाज:

इम्यूनोथेरेपी व टार्गेटेड थेरेपी: पारंपरिक उपचार से कैसे अलग?

इम्यूनोथेरेपी क्या है और यह कैसे काम करती है?

  • इम्यूनोथेरेपी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करती है। सामान्यतः कैंसर कोशिकाएं खुद को इम्यून सिस्टम से छुपा लेती हैं, जिससे शरीर उन्हें नष्ट नहीं कर पाता।
  • इम्यूनोथेरेपी दवाएं जैसे पेम्ब्रोलिज़ुमैब (Pembrolizumab), निवोलुमैब (Nivolumab) आदि इन ‘ब्रेक’ को हटाकर शरीर की इम्यून कोशिकाओं को कैंसर के खिलाफ लड़ने में सक्षम बनाती हैं। यह विशेष रूप से उन मरीजों में उपयोगी है जिनके कैंसर में PD-L1 प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है।

टार्गेटेड थेरेपी क्या है और यह कैसे काम करती है?

  • टार्गेटेड थेरेपी कैंसर उपचार की एक आधुनिक तकनीक है जो सीधे कैंसर कोशिकाओं की विशेष आनुवंशिक गड़बड़ियों (म्यूटेशन) को निशाना बनाकर काम करती है। इससे स्वस्थ कोशिकाएं कम प्रभावित होती हैं।
  • फेफड़ों के कैंसर में EGFR, ALK, ROS1, BRAF जैसे म्यूटेशन अक्सर देखे जाते हैं। इनके लिए अलग-अलग दवाएं बनाई गई हैं जैसे:
  • EGFR म्यूटेशन के लिए: एरलोटिनिब (Erlotinib), गेफिटिनिब (Gefitinib), ओसिमर्टिनिब (Osimertinib)
  • ALK रिअरेंजमेंट के लिए: क्रिज़ोटिनिब (Crizotinib), एलेक्टिनिब (Alectinib)
  • ROS1 रिअरेंजमेंट के लिए: क्रिज़ोटिनिब (Crizotinib)

इम्यूनोथेरेपी व टार्गेटेड थेरेपी के फायदे क्या है

  • यह उपचार पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में ज्यादा विशेष रूप से काम करते हैं।
  • दवाएं सीधे कैंसर की जड़ों पर असर डालती हैं, जिससे स्वस्थ कोशिकाएं कम प्रभावित होती हैं।
  • कई मामलों में इससे मरीज की जीवन अवधि और जीवन गुणवत्ता दोनों बेहतर होती है।

इलाज के पारंपरिक तरीके और उनकी सीमाएँ क्या है

पारंपरिक उपचारों में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी शामिल हैं।

  • सर्जरी: यदि कैंसर शुरुआती चरण में है और केवल एक छोटे से क्षेत्र तक सीमित है तो ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है।
  • कीमोथेरेपी: इसमें ऐसी दवाएं शामिल होती हैं जो तेजी से बढ़ने वाली कोशिकाओं को मारती हैं, जिसमें कैंसर कोशिकाएं भी शामिल हैं। हालांकि, यह स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे कई दुष्प्रभाव होते हैं।
  • रेडिएशन थेरेपी: उच्च-ऊर्जा एक्स-रे या अन्य प्रकार के विकिरण का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने और ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए किया जाता है।

इन पारंपरिक तरीकों के बावजूद, उन्नत चरणों में फेफड़ों के कैंसर का इलाज अक्सर मुश्किल होता था और रोगियों के लिए जीवित रहने की दर कम थी। यहीं पर इम्यूनोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

क्या इम्यूनोथेरेपी शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है?

  • इम्यूनोथेरेपी एक प्रकार का कैंसर उपचार है जो कैंसर से लड़ने के लिए शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करता है। कैंसर कोशिकाएं अक्सर ऐसी रणनीति अपनाती हैं जिससे वे प्रतिरक्षा प्रणाली की पहचान से बच सकें। इम्यूनोथेरेपी इन रणनीतियों को बाधित करती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में मदद करती है।
  • फेफड़ों के कैंसर के लिए, “चेकपॉइंट इनहिबिटर” नामक इम्यूनोथेरेपी दवाएं सबसे प्रभावी साबित हुई हैं। ये दवाएं कैंसर कोशिकाओं पर या प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर मौजूद “चेकपॉइंट” प्रोटीन (जैसे PD-1 या PD-L1) को ब्लॉक करती हैं। इन चेकपॉइंट्स को ब्लॉक करके, ये दवाएं प्रतिरक्षा कोशिकाओं (टी-कोशिकाओं) को कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए ‘रिलीज’ करती हैं।

इम्यूनोथेरेपी के लाभ क्या है

  • लंबे समय तक चलने वाला प्रभाव: कुछ रोगियों में इम्यूनोथेरेपी के साथ लंबे समय तक चलने वाली प्रतिक्रिया देखी गई है, यहां तक कि कैंसर पूरी तरह से ठीक न होने पर भी।
  • कम दुष्प्रभाव: कीमोथेरेपी की तुलना में, इम्यूनोथेरेपी के दुष्प्रभाव आमतौर पर कम गंभीर होते हैं, हालांकि थकान, त्वचा पर चकत्ते, या थायराइड की समस्या जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
  • उन्नत NSCLC में प्रभावकारिता: विशेष रूप से उन्नत नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपचार विकल्प बन गया है।

टार्गेटेड थेरेपी कैंसर पर कैसे असर करती है?

  • टार्गेटेड थेरेपी कैंसर कोशिकाओं में विशिष्ट असामान्यताओं को लक्षित करती है जो उनके विकास और प्रसार को बढ़ावा देती हैं। यह कीमोथेरेपी की तुलना में अधिक सटीक है, क्योंकि यह स्वस्थ कोशिकाओं को कम नुकसान पहुंचाती है। टार्गेटेड थेरेपी शुरू करने से पहले, डॉक्टर अक्सर कैंसर कोशिकाओं का आनुवंशिक परीक्षण करते हैं ताकि यह पता चल सके कि उनमें कोई विशिष्ट ‘म्यूटेशन’ (उत्परिवर्तन) है या नहीं, जिसे दवा द्वारा लक्षित किया जा सके।

फेफड़ों के कैंसर के लिए, कुछ सामान्य टार्गेटेड म्यूटेशन में शामिल हैं:

  • EGFR म्यूटेशन: फेफड़ों के कैंसर के लगभग 10-15% मामलों में पाया जाता है।
  • ALK रीअरेंजमेंट्स: लगभग 3-5% मामलों में देखा जाता है।
  • ROS1 रीअरेंजमेंट्स: अपेक्षाकृत कम आम।
  • यदि किसी रोगी के कैंसर में इनमें से कोई भी म्यूटेशन पाया जाता है, तो उन्हें उस विशिष्ट म्यूटेशन को लक्षित करने वाली दवा (जैसे EGFR अवरोधक या ALK अवरोधक) दी जा सकती है। ये दवाएं अक्सर मौखिक रूप से ली जाती हैं और कैंसर के विकास को प्रभावी ढंग से रोक सकती हैं।

टार्गेटेड थेरेपी के लाभ क्या है

  • उच्च प्रतिक्रिया दर: जिन रोगियों में विशिष्ट म्यूटेशन होते हैं, उनमें टार्गेटेड थेरेपी के प्रति अक्सर उच्च प्रतिक्रिया दर देखी जाती है।
  • कम दुष्प्रभाव: चूंकि यह स्वस्थ कोशिकाओं को कम प्रभावित करती है, इसलिए इसके दुष्प्रभाव अक्सर कीमोथेरेपी से कम होते हैं।
  • जीवन की गुणवत्ता में सुधार: यह रोगियों को अधिक आरामदायक जीवन जीने में मदद कर सकती है।

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